स्वास्थ्य चर्चा : प्रकृति की अनमोल देन 'तरबूज'

- योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क)

गर्मी का मौसम शुरू होते ही बाजारों में और सड़क के किनार भी तरबूज के भारी-भरकम ढ़ेर नजर आने लगते हैं। तरबूज गर्मी के मौसम का ठंडी तासीर वाला बड़े आकार का सस्ता फल है। वास्तव में सख्त हरे छिलके के भीतर काले अथवा सफेद बीजों से युक्त लाल रसदार गूदे वाला ग्रीष्म ऋतु का एक बेमिसाल फल है तरबूज।

तरबूज को मतीरा, पानीफल, कालिन्द आदि विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसे संस्कृत में कालिन्द तथा मराठी में कलिंगड़ कहा जाता है। ग्रीष्म ऋतु का फल तरबूज प्रकृति की अनमोल देन है। इसे प्रकृति प्रदत्त अनुपम ठंडाई माना गया है।

तरबूज के 100 ग्राम गूदे में 95.8 ग्राम जल, 3.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 0.2 ग्राम प्रोटीन, 0.2 ग्राम वसा, 0.2 ग्राम रेशा, 12 मिलीग्राम फास्फोरस, 11 मि.ग्रा. कैल्शियम, 7.9 मि.ग्रा. लौह तत्व, 1 मि.ग्रा. विटामिन सी, 0.1 मि.ग्रा. नियासिन, 0.04 मि.ग्रा. राइबोफ्लेविन, 0.02 मि.ग्रा. थायमिन, 16 किलो कैलोरी ऊर्जा इत्यादि अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार तरबूज मस्तिष्क एवं हृदय को ताजगी प्रदान करने वाला, नेत्रज्योति बढ़ाने वाला, मन-मस्तिष्क एवं शरीर को शीतलता प्रदान करने वाला, कफनाशक, पित्तनाशक, वातनाशक और प्यास बुझाने वाला मधुर फल है। तरबूज के सेवन से उच्च रक्तचाप, सीने, आंतों तथा पेट में जलन, फेफड़ों के रोगों, चर्म रोगों, पेशाब में जलन, मूत्र रोगों, बवासीर, पीलिया, उल्टी, जी मिचलाना, पेचिश, कब्ज, पथरी, जोड़ों का दर्द, लीवर, मोटापा, सिर दर्द इत्यादि अनेक रोगों में लाभ होता है।

तरबूज का प्रत्येक हिस्सा (छिलका, गूदा एवं बीज) किसी न किसी रूप में उपयोग में आते हैं। छिलके का उपयोग सौन्दर्यवृद्धि, विभिन्न दवाओं के निर्माण तथा पशुओं के आहार के रूप में किया जाता है। तरबूज का गूदा बेहद स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होता है। तरबूज के गूदे में पैक्टिन की पर्याप्त मात्रा होती है, इसलिए इसका उपयोग खाने के अलावा अच्छी क्वालिटी के स्वादिष्ट जैम, जैली इत्यादि तैयार करने में भी किया जाता है।

तरबूज के बीजों की गिरी का उपयोग ठंडाई, शर्बत तथा अन्य शीतल पेय पदार्थ तैयार करने, स्वादिष्ट व्यंजन बनाने तथा बहुत सी विभिन्न औषधियों के निर्माण में किया जाता है। तरबूज के बीजों का तेल बादाम के तल के समान ही पौष्टिक एवं गुणकारी माना गया है। तरबूज के बीजों की गिरी खाने से रक्तचाप कम होता है। तरबूज के बीजों की गिरी पौष्टिक होती हैं। इनके सेवन से मन-मस्तिष्क को शीतलता मिलती है। तरबूज के बीजों की गिरियां तो तरबूज के गूदे से भी अधिक पौष्टिक मानी जाती हैं। इनके सेवन से शारीरिक ताकत बढ़ती है।

गर्मी के मौसम में अत्यधिक पसीना आने से शरीर में प्राकृतिक लवणों की मात्रा कम होने लगती है और इनकी मात्रा कम होने से शरीर में कमजोरी आने लगती है। गर्मी के मौसम में प्यास भी बहुत लगती है। तरबूज के सेवन से प्यास तो शांत होती ही है, साथ ही यह पोषक तत्वों एवं विभिन्न लवणों का अथाह भंडार होने के कारण शरीर के लिए आवश्यक लवणों की पूर्ति भी करता है।

तरबूज के सेवन से बेचैनी एवं घबराहट दूर होती है तथा भीषण गर्मी और धूप के प्रभाव के कारण उत्पन्न होने वाली खुश्की तथा इस वजह से उत्पन्न होने वाले अन्य दुष्प्रभाव भी दूर होते हैं। तरबूज खाने से आंतों को चिकनाई मिलती है और इससे आंतों की जलन भी मिटती है। कब्ज, पीलिया, बुखार, शारीरिक दाह, जोड़ों के दर्द, मसाने की पथरी, सूजाक (ल्यूकोरिया) आदि रोगों में तो तरबूज का सेवन बहुत लाभदायक है। शारीरिक एवं मानसिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए तो यह एक श्रेष्ठ टॉनिक का कार्य करता है क्योंकि इसके सेवन से शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है।

तरबूज एक अच्छा मल शोधक फल है। इसके सेवन से पेट की गंदगी मल के जरिये निकलकर पेट साफ रहता है। तरबूज खून को साफ करता है और शरीर में रक्त की मात्रा में भी वृद्धि करता है। तरबूज में मौजूद विटामिन ए, बी व सी तथा आयरन खून के रंग को लाल सुर्ख बनाते हैं। तरबूज खाने से लू से बचाव होता है। इसके नियमित सेवन से नेत्रज्योति बढ़ती है। प्रतिदिन नियमित रूप से 2-3 गिलास तरबूज का रस पीने से गुर्दे की पथरी नष्ट हो जाती है। प्रतिदिन नियमित रूप से तरबूज के रस का सेवन करने से अनिद्र्रा, दिमागी गर्मी, हिस्टीरिया, पागलपन आदि रोगों में बहुत लाभ मिलता है।

तरबूज के नियमित सेवन से विभिन्न चर्म रोगों में बहुत फायदा होता है। गर्भवती महिलाओं द्वारा तरबूज के बीजों की गिरी को सौंफ तथा मिश्री के साथ मिलाकर खाने से गर्भस्थ शिशु का विकास और भी अच्छी तरह से होता है। कुछ देर के लिए सिर पर तरबूज का ठंडा गूदा रखने से सिरदर्द से राहत, मस्तिष्क को शीतलता और मानसिक शांति मिलती है।

सावधानियां

तरबूज का सेवन करते समय कुछ छोटी-छोटी बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखें वरना जरा सी लापरवाही के चलते आपको तरबूज के सेवन से फायदे के बजाय स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का ही सामना करना पड़ सकता है। तरबूज का सेवन करते समय ये सावधानियां अवश्य बरतें:-

’ बाजार से तरबूज खरीदते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि तरबूज बासी, कटा हुआ अथवा पिलपिला न हो।

’ दमे के मरीजों को तरबूज का सेवन नहीं करना चाहिए।

’ तरबूज खाने के तुरन्त बाद पानी, दूध अथवा दही का सेवन न करें क्योंकि इससे हैजे के संक्रमण का खतरा रहता है।

’ तरबूज का सेवन करने से कम से कम एक घंटा पहले इसे ठंडे पानी में डाल दें ताकि इसकी गर्मी निकल जाए। गर्म तरबूज का सेवन न करें।

’ घर में तरबूज काटकर रखते समय इसे ऐसे स्थान पर रखें, जहां इस पर मक्खियां न भिनकने पाएं।

’ काटकर ज्यादा समय तक रखे गए तरबूज का सेवन करने से बचें।

’ खाली पेट तरबूज का सेवन न करें।

’ भोजन के बाद तरबूज काटकर पिसी हुई काली मिर्च व काला नमक बुरककर ही इसका सेवन करें।

’ तरबूज का सेवन करने से कम से कम दो घंटा पहले और दो घंटे बाद तक चावल का सेवन न करें।

(यह लेख ‘मीडिया केयर नेटवर्क’ के डिस्पैच से लेकर यहां प्रकाशित किया गया है)

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